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24 March 2021
Posted By Vidhik Shiksha
Vidhik Shiksha is India's Most admired law education portal. This platform provides law lectures in Hindi suitable for law students, civil judge, and judicial services candidates. These law lectures include videos on subjects like The…
7 December 2020
Posted By Editor
न्यायिक सुधार की दिशा में एक कदम "न्यायपालिका लोकतंत्र का मजबूत आधार स्तंभ है।" -सर्वोच्च न्यायालय न्यायपालिका लोकतंत्र का एक मजबूत आधार स्तंभ है। संविधान निर्माताओं ने न्यायपालिका के महत्व को समझते हुए इसे…
6 December 2020
चुनाव सुधार की दिशा में बढ़ाया गया एक कदम "जानने के अधिकार के बिना स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की कल्पना नहीं की जा सकती है।" -उच्चतम न्यायालय सूचना का अधिकार अभिव्यक्ति के अधिकार…
5 December 2020
'सुना है हवाओं को सोहबत बिगाड़ देती है, कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती है। जुर्म करने वाले इतने बुरे नहीं होते, सज़ा न देकर अदालत बिगाड़ देती है।।" ¶Justice delayed is justice denied¸ एक…
4 December 2020
"ऑनर किलिंग एक ऐसा कृत्य है, जिसमें परिवार के पुरुषों द्वारा महिलाओें की हत्या केवल इसलिए कर दी जाती है, क्योंकि पुरुषों को लगता है कि उनके परिवार के सम्मान को नुकसान पहुँचाया गया है।"…
22 October 2020
“पापी जनों को दण्ड देना चाहिये, समुचित सदा। वर वीर क्षत्रीय-वंश का कर्त्तव्य है यह सर्वदा।” – जयद्रथ वध दण्ड और इसका दिया जाना प्राचीनकाल से ही अस्तित्व में रहा है। दण्ड दिये जाने के…
“शिक्षा का अधिकार जीने के अधिकार का एक आवश्यक अवयव है।” – उच्चतम न्यायालय शिक्षा के बिना एक सभ्य, सुसंस्कृत एवं सम्माजनक जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। शिक्षा जीवन का एक अनिवार्य…
“उद्वेजयति तीक्ष्णेनप, मृदुना परिभूयते, तस्ताद्यथार्हतो दण्ड: जयेतपक्ष मनाश्रितः।।“ – कौटिल्य आचार्य कौटिल्य कहते हैं कि “कठोरतम दण्ड से प्रजा विचलित होती है। कोमल दण्ड से प्रजा तिरस्कार करने लगती है। अतः दण्ड की समुचित व्यवस्था…
Intro – “Law is not just about politics or education. It must govern every corner of life from entertainment and […]
प्रस्तावना- “कानून केवल शिक्षा और प्रशासन तक सीमित नहीं। वे जीवन की प्रत्येक क्रिया, व्यापार, मनोरंजन, यौनाचार और निजी संबंध […]
Intro- “If the soul of a state must endure, then education cannot be limited to textbooks. In Book 7 of […]
प्रस्तावना : “अगर एक राज्य की आत्मा को स्थायी बनाना है, तो शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं हो सकती। […]
Intro- “If laws are the soul of a state, then they must be upheld by a system grounded in wisdom […]